हार्वर्ड बनाम ट्रंप प्रशासन: विदेशी छात्रों पर अमेरिका में नया विवाद!

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच एक नया विवाद सामने आया है। अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने घोषणा की है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को अब अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय “कानूनों का पालन करने में विफल रहा” और इसे “सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए चेतावनी” बताया।

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हार्वर्ड का जवाब: यह निर्णय ‘गैरक़ानूनी’

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए इसे “प्रतिशोधात्मक और गैरक़ानूनी” बताया है। संस्थान ने बयान में कहा,

“हम अपनी वैश्विक शिक्षा प्रतिबद्धताओं पर कायम हैं। हमारे अंतरराष्ट्रीय छात्र विश्वविद्यालय और देश दोनों को समृद्ध बनाते हैं।”

विश्वविद्यालय ने कहा कि वे इस फैसले के कानूनी और संस्थागत स्तर पर विरोध के लिए काम कर रहे हैं।

कितने छात्र होंगे प्रभावित?

हार्वर्ड के अनुसार, पिछले शैक्षणिक वर्ष में 6,700 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र नामांकित थे, जो कुल छात्र संख्या का 27% हैं। इस फैसले का मतलब है कि इन छात्रों को या तो देश छोड़ना पड़ सकता है या वीज़ा स्थिति में जटिलता आ सकती है।

शिक्षा और कूटनीति पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल शैक्षणिक आज़ादी को प्रभावित करता है, बल्कि अमेरिका की वैश्विक छवि और उसकी सॉफ्ट पावर को भी कमजोर करता है। अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका की शिक्षा अर्थव्यवस्था में हर साल अरबों डॉलर का योगदान करते हैं।

आगे क्या?

हार्वर्ड के साथ कई अन्य शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालय भी इस फैसले के विरोध में सामने आ सकते हैं। संभावना है कि यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, जहाँ शिक्षा बनाम राजनीति की यह लड़ाई निर्णायक मोड़ ले सकती है।

यह घटना सिर्फ एक विश्वविद्यालय का मामला नहीं, बल्कि पूरी अमेरिकी शिक्षा प्रणाली के लिए खतरे की घंटी है। हार्वर्ड और ट्रंप प्रशासन की यह टक्कर आने वाले समय में शिक्षा, विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।

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